अब एप्लीकेशन बताएगी की आप कोरोना के मरीज हैं या नहीं।

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अब एप्लीकेशन बताएगी की आप कोरोना के मरीज हैं या नहीं। 


कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकारें जहां लोगों को घर के अंदर रखने की कोशिश कर रही हैं, वहीं वैज्ञानिक टेस्ट के बोझ को कम करने के लिए विज्ञान का इस्तेमाल करने की कोशिश में लगे हैं। यह माना जाता है कि महामारी से लड़ने के लिए पहला कदम बड़े पैमाने पर टेस्ट्स  यानी जांच है, लेकिन भारत जैसे कई देश हैं जहां सबसे बड़ी कमी टेस्टिंग किट की महसूस की जा रही है।

कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कोरोना वायरस वॉयस डिटेक्टर नाम के एक ऐप का शुरुआती वर्जन जारी किया है जो यह निर्धारित कर सकता है कि क्या व्यक्ति को कोरोना वायरस है। वह केवल व्यक्ति की अपनी आवाज का विश्लेषण करके यह काम कर सकता है।

जबकि अधिक से अधिक लोग शुरुआती कोरोना वायरस लक्षणों का पता लगाने के सस्ते और सटीक साधनों को विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐप के निर्माता मानते हैं कि फोन में बोलकर कोरोना वायरस का पता लगाने की तुलना में सस्ता और आसान कुछ भी नहीं है।
 
वर्तमान में, इन प्रयासों में से अधिकांश उस चरण में हैं, जिसमें शोधकर्ता यह जानने के लिए कि क्या किसी को संक्रमण है उसके बोलने और खांसी की रिकॉर्डिंग के जरिए डाटा एकत्र कर रहे हैं। फिर उन्हें एआई एल्गोरिदम में डाला जाता है, जिसमें विशेष रूप से मशीन लैंग्वेज प्रोग्राम भी होता है।
 
ऐप में लॉग इन करने के बाद, व्यक्ति को तीन बार खांसने के लिए, एक वर्णमाला सुनाने और एक स्वर को जोर से बोलने के लिए कहा जाएगा। यह किसी व्यक्ति की फेफड़ों की क्षमता को मापने में ऐप की मदद करता है। प्रक्रिया में पांच मिनट से कम समय लगता है और टेस्ट के अंत तक, व्यक्ति को 1 से 10 के बीच अंक मिलेगा। स्कोर बताएगा है कि व्यक्ति की आवाज में कोरोना वायरस के संकेत हैं या नहीं। टेस्ट लेने से पहले, व्यक्ति को अपनी ऊंचाई और वजन का विवरण देना जरूरी है और यह बताना होगा कि उन्हें कोरोना वायरस के लक्षण हैं या नहीं।
 
हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि ऐप निश्चित रूप से एक डायग्नोस्टिक सिस्टम नहीं है और इसलिए इसे मेडिकल लेबोरेटरी में आयोजित परीक्षणों के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। ऐप को प्रारंभिक तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिसके बाद लोग डॉक्टर से परामर्श करें।

ऐम्स के डॉ. अजय मोहन का कहना है कि आमतौर पर यदि डॉक्टर को लगता है कि व्यक्ति को कोरोना वायरस है तो इसकी पुष्टि के लिए वे कुछ टेस्ट्स कर सकते हैं। मोलिक्यूलर और सेरोलॉजी ये दो मुख्य प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। मोलिक्यूलर टेस्ट में रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन (RT-PCR) टेस्ट किया जाता है। इस वायरस की मदद से शरीर में वायरस आरएनए की जांच की जाती है। सेरोलॉजी टेस्ट मुख्य रूप से एलिसा टेस्ट और एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोरबेंट शामिल है। इन टेस्ट्स की मदद से शरीर में कोरोना संक्रमण के खिलाफ शरीर द्वारा बनाई गई एंटीबॉडीज की पहचान की जाती है।

अधिक जानकारी के लिए देखें : https://www.myupchar.com/disease/covid-19

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